गुजरात में मुसलमानों का बड़ा चेहरा है : शमशाद पठान
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के शमशाद पठान का पूरा परिवार अहमदाबाद बस गया, स्कूल के बाद गुजरात विश्विद्यालय ग्रेज्यूशन उसके बाद 2006 में एलएलबी कर वकील हुए और 2002 दंगो के बाद अस्तित्व में आयी “गुजरात जनसंघर्ष मंच” से शमशाद जुड़ गए, “गुजरात जनसंघर्ष मंच” मंच को बनाने वालो में डॉ मुकुल सिन्हा एक थे उनके साथी उन्हें प्यार से कोमरेड कहते थे, नानावटी कमीशन में “गुजरात जनसंघर्ष मंच” पार्टी बनी और मुकुल सिन्हा की लीडरशिप में शमशाद पठान ने गुजरात नरसंहार के केसेस को नज़दीक से देखने का काम करने का मौक़ा मिला!
“गुजरात जनसंघर्ष मंच” ने गुजरात में बतौर नागरिक संगठन 50 हज़ार दलित आदिवासी ओबीसी अल्पसंख्यको के घर उजड़ने से बचाए जिन लड़ाइयो में यह नौजवान भी जुडा हुआ था, युवा इसे मुसलमानों की प्रोग्रेसिव चेहरे की तरह देखते है उसकी बहादुरी और समाज के हाशिये के लोगो के लिए काम करना जिसका जूनून है, जब भारत में मीडिया मुसलमानों को सिर्फ उसकी पहचान दाढ़ी टोपी से ही प्रदर्शित किया जाता हो तब यह नौजवान मीडिया से गायब कर दिया जाता है क्यूंकि राजनीतिक दल हो या मीडीया मुसलमानों को रिलीजस छवि से उन्हें ध्रुवीकरण करने में मदद या वोट बटोरने में फायदा मिलता है, मुसमान के समाजी सियासी ज़िन्दगी आज तक नहीं सुधर पायी क्यूकी उसकी बेशतर नेत्रित्व खाना पूर्ति करने के लिए किसी कठपुतली मुस्लिम को राजनीतिक अखाड़ो में खडा कर दिया जाता है लेकिन वोह नहीं चाहते की उनके असली फाइटर चेहरे सामने आये!
शमशाद पठान के आन्दोलन लड़ाइयो के किस्से अनेक है, वोह सादगी भरी ज़िन्दगी में यकीन रखते है न उनमे कोई बनाव है न कोई दोहरापन, अहमदाबाद में आप उन्हें कही चलते फिरते देख सकते है, मायाबेन कोडनानी, बाबु बजरंगी जैसो को जेल भेजने वाले इस वकील को जिसके ऊपर कितने खतरे होते होंगे लेकिन कोई सुरक्षा नहीं कोई लागलपेट नहीं, ज़िन्दगी को समाजवादी धारे के अल्हड़पन की अदा में जीना शमशाड पठान जीवन का नजरिया है!
पिछले साल की 11 जुलाई को गुजरात में गौआतंकियों के हाथो दलित युवाओ को पीटे जाने की घटना को लेकर गुजरात व् देश में रोष उत्पन्न हुआ जहा “गुजरात जनसंघर्ष मंच” से ही जुड़े जिग्नेश मेवानी दलित मुद्दों पर काम कर रहे थे इस लड़ायी को इन दो युवाओ ने अपने हाथ लिया, फ़ौरन ही दलितो के लिए मुसलमानो की एक तंजीम “अहमदाबाद मुस्लिम यूथ” ने 20 जुलाई 2016 को कोलेक्टर का घराव कर मेमोरंडम दिया और अपना समर्थन 11 जुलाई की घटना के वरोध में दलितों को दिया जिसका नेत्रित्व शमशाद पठान और उनके साथियों ने किया, इसी घटना को लेकर 31 जुलाई 2016 को अहमदाबाद में जिग्नेश मेवानी के ज़रिये दलित महासम्मेलन हुआ जिससे शमशाद पठान ने संबधित कर 5-15 अगस्त 2016 के 400 किलोमीटर उना यात्रा को समर्थन देकर प्रदेश के मुसलमानों को खडा किया, इस आन्दोलन से जिग्नेश मेवानी को देश विदेश में दलित चेहरे के बतौर पहचाना गया लेकिन यहाँ भी मीडिया ने शमशाद पठान को पीछे रखा जिससे दलित मुसलमानों के प्रोग्रेस्सिव युवा तुर्क की एकता न दिखे और यह बहुत समझदारी के साथ हुआ, उना आदोलन में शमशाद पठान को नहीं जाना गया, ऐसा होता है क्यूंकि मुसलमानों को बस कंडक्टर खलासी के बतौर तो कही रखा जा सकता है लेकिन सेकुलर चेहरे के बतौर उसे कही पेश नहीं किया जाएगा क्यूंकि उससे बहुसंख्य समाज का संघ जाग जाता है!
स्पेशल कोर्ट के सेशन जज श्री पी बी देसाई के साथ जाँच दल का हिस्सा बन गुजरात नरसंहार की साईट पर दौरे के दौरान शमशाद पठान
फिलहाल गुजरात में वोह नरोडा पाटिया व् अन्य गुजरात नरसंहार के मामले में पीडितो की तरफ से वकील वकील है, हालिया स्पेशल ट्रायल कोर्ट में जसिटस पीबी देसाई दंगा प्रभावित इलाको का दौरा कर रहे है जिसमे पीडितो के वकील के बतौर शमशाद पठान साथ है उन्होंने सियासत मेल ऑनलाइन को बताया की 28 फरवरी 2002 के गुजरात में हुए दंगे पूरे विश्व में कौन भूलेगा उन्हीं दंगों में अहमदाबाद के नरोड़ा गांव का विस्तार भी है. जिसमें 11 लोगों को जिंदा जलाकर दंगाइयों ने मार डाला था, मरने वालों में छोटे बच्चे,महिलाए और बूढ़े भी थे!
15 साल के बाद पहली बार नरोड़ा गांव विस्तार जहां पर दंगे हुए थे उस विस्तार को देखने के लिए स्पेशल कोर्ट के सेशन जज श्री पी बी देसाई साहब पहुंचे थे उनके साथ इस इस केस में जुड़े हुए सरकारी वकील ,आरोपियो के वकील और पीडितों के वकील शमशाद पठान, वसीम अब्बासी, इमतियाज पठान, और ऐजाज अन्सारी भी साथ मे थे, अधिवक्ता शमशाद पठान ने बताया की जज साहब को खास कर वो तमाम जगह दिखाई गई जहाँ जहाँ दंगाइयों ने दंगा किया था हमारी तरफ से खास कर वो जगहो को भी दिखाया गया कि जहां पर यह 11 लोगों की हत्याएं हुई थी।दंगाइयों ने दंगो से पहले जहां पर शाजिश की थी वो जगह को भी बताया गया। इस केस के अहम गवाहों की जैसे कि शरीफ भाई,इमतियाज भाई, आबीद,भाई,बादशाह भाई ने भी काफी मदद की।
गुजरात जन संघर्ष मंच की तरफ से अधिवक्ता शमशाद पठान ने बताया की देखना यह है कि नरोड़ा गांव दंगों में शामिल मायाबेन कोडनानी बाबू बजरंगी जयदीप पटेल और दूसरे 80 आरोपियों को सजा कब होती है और नरोड़ा गांव के पीड़ितों को इंसाफ कब मिलता है क्योंकि इन दंगाइयों को बचाने के लिए स्वयं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी कोर्ट में गवाही देने के लिए पेश हुए थे, पीड़ित अपनी इंसाफ की लडाई पिछले 15 सालों लगातार लडते आ रहे है, ऐसे में पीड़ितों को इंसाफ मिलता है कि नहीं मिलता है यह बड़ा सवाल हम सब के सामने है!
फिलहाल गुजरात विधानसभा चुनाव सर पर है, अमित शाह और नरेंद्र मोदी के लिए प्रदेश में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर, शमशाद पठान और जिग्नेश मेवानी सर दर्द बनकर उभरे थे जिन्हें कमज़ोर करने की हर साजिश कमज़ोर हुयी है, विभिन्न समाजिक परिवेश से आये युवाओ में एक बात कामन है की यह भाजपा को सरकार को उखाड़ फेकना चाहते है जिसके लिए कोंग्रेस इन युवाओ का साथ चाहती है, कोंग्रेस के लिए बहतर होगा की इन युवाओ के लिए सीटे छोड़े या समझौता कर शमशाद पठान जैसे युवाओ को विधानसभा ले आये, सड़क की लड़ाई को विधानसभा और संसद में मज़बूत किया जाये इसके लिए सामाजिक न्याय का तकाजा है की विचारधाराओ से लैस युवा जीतकर विधानसभा पहुचे कोंग्रेस के लिए यही महागुजरात नवनिर्माण के नेता इंदु लाल याज्ञनिक से लेकर समाजवादी पुरोधा सनत भाई मेहता के संघर्षो को सच्ची श्रधान्जली होगी!
गुजरात में मुसलमानों का बड़ा चेहरा है : शमशाद पठान
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February 02, 2018
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